पुलिस को प्रभावी बनाने के लिए उसमें आमूल सुधार की आवश्यकता है। सच तो यह है कि स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही हमारे नेताओं का ध्यान इस ओर जाना चाहिए था, परंतु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। सन् 1975 ई. में जब आपातकालीन स्थिति लागू की गई, तब जाकर लोगों की समझ में यह बात आई कि पुलिस व्यवस्था अंदर से कितनी कमजोर है और सत्ताधारी पार्टी इसका कितना दुरुपयोग कर सकती है। राज्य स्तर पर कई पुलिस कमीशन, जो अलग-अलग राज्यों में बैठाए गए, उन्होंने भी पुलिस को बाहरी दबाव से बचाने की संस्तुति की
पुलिस सुधार की इच्छाशक्ति नहीं है राजनेताओं में

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