अध्ययन दिखाते हैं कि बार बार जुर्म करने वाले ज्यादातर मुजरिम, जेल की हवा खाने के बाद भी समाज के खिलाफ काम करना बंद नहीं करते। इसका नतीजा यह होता है कि समाज को उससे भारी नुकसान पहुंचता है जिसे सिर्फ पैसों से नहीं आंका जा सकता है और यह नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या जुर्म को रोकने के तरीके जैसे अपराधियों को जेल की या दूसरी सख्त से सख्त सजा देने के तरीके क्या हम जुर्म रोकने में कामयाब हो रहे हैं? क्या जेल में सजा काटने से गुनहगार सुधर जाते हैं?
क्या जुर्म की जड़ काटना मुमकिन है?

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